Rig Veda Mantras

Rig Veda - The mantras in Rig Veda give information that the Name of Supreme God is Kavir Dev (Kavir God or Kabir Sahib). It also says that God himself invents secret mantras and then imparts them to his devotees. 

  • Rig Veda Mandal 8 Sukt 1 Mantra 29 - God should be worshipped three times per day
  • Rig Veda Mandal 9 Sukt 20 Mantra 1 - God's name is Kavir Dev, imparts true knowledge and defeats fake saints (Kavir Dev)
  • Rig Veda Mandal 9 Sukt 54 Mantra 3 - God is present in the highest lok as well as other loks (bhuvnopari tishtathi)
  • Rig Veda Mandal 9 Sukt 95 Mantra 2 - God imparts secret mantra

Rig Veda Mandal 8 Sukt 1 Mantra 29

  • Worship should be done 3 times per day

ऋग्वेद मण्डल 8 सूक्त 1 मन्त्र 29

मम । त्वा । सूरे । उत्ऽइते । मम । मध्यन्दिने । दिवः । मम । प्रऽपित्वे । अपिऽशर्वरे । वसो इति । आ । स्तोमासः । अवृत्सत ॥

Translation by Dayanand Saraswati

  • (वसो) हे व्यापक परमात्मन् ! (उदिते, सूरे) सूर्य्योदयकाल में (मम, स्तोमासः) मेरी स्तुतियें (दिवः) दिन के (मध्यन्दिने) मध्य में (मम) मेरी स्तुतियें (शर्वरे, प्रपित्वे, अपि) रात्रि प्राप्त होने पर भी (मम) मेरी स्तुतियें (त्वा) आप (अवृत्सत) आवर्तित=पुनः पुनः स्मरण करें ॥२९॥

Correct Translation by Sant Rampal Ji

Rig Veda Mandal 9 Sukt 20 Mantra 1

  • God is Kavir Dev i.e. Kabir Sahib.
  • God takes care of everyone
  • God Kavir imparts true knowledge and defeats all those who give useless & arbitrary knowledge.

ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 20 मन्त्र 1

प्र । कविः । देवऽवीतये । अव्यः । वारेभिः । अर्षति । सह्वान् । विश्वाः । अ॒भि । स्पृधः ॥

(very poor) Translation by Dayanand Saraswati

  • वह परमात्मा (कविः) मेधावी है और (अव्याः) सबका रक्षक है (देववीतये) विद्वानों की तृप्ति के लिये (अर्षति) ज्ञान को देता है (साह्वान्) सहनशील है (विश्वाः स्पृधः) सम्पूर्ण दुष्टों को संग्रामों में (अभि) तिरस्कृत करता है ॥१॥

Correct Translation by Sant Rampal Ji

Rig Veda Mandal 9 Sukt 54 Mantra 3

Supreme God is also present in the highest lok as well as in other loks

ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 54 मन्त्र 3

अयम् । विश्वानि । तिष्ठति । पु॒नानः । भुवना । उपरि । सोमः । दिवः । न । सूर्यः ॥

Translation by Dayanand Saraswati

  • (सूर्यः न) सूर्य के समान जगत्प्रेरक (अयम्) यह परमात्मा (सोमः देवः) सौम्य स्वभाववाला और जगत्प्रकाशक है और (विश्वानि पुनानः) सब लोकों को पवित्र करता हुआ (भुवनोपरि तिष्ठति) सम्पूर्ण ब्रह्माण्डों के उर्ध्वभाग में भी वर्तमान है ॥३॥

Correct Translation by Sant Rampal Ji

Rig Veda Mandal 9 Sukt 95 Mantra 2

  • God produces sercret mantra to impart to His devotees

ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 95 मन्त्र 2

हरिः । सृ॒जानः । पथ्याम् । ऋतस्य । इयर्ति । वाचम् । अरिताऽइव । नावम् । देवः । देवानाम् । गुह्यानि । नाम । आ॒विः । कृणोति । बर्हिषि । प्रऽवाचे॑ ॥

Translation by Dayanand Saraswati

  • (हरिः) वह पूर्वोक्त परमात्मा (सृजानः) साक्षात्कार को प्राप्त हुआ (ऋतस्य, पथ्यां, वाचम्) वाक् द्वारा मुक्तिमार्ग की (इयर्ति) प्रेरणा करता है। (अरितेव नावम्) जैसा कि नौका के पार लगाने के समय में नाविक प्रेरणा करता है और (देवानां देवः) सब देवों का देव (गुह्यानि) गुप्त (नामाविष्कृणोति) संज्ञायों को प्रगट करता है (बहिर्षि प्रवाचे) वाणीरूपी यज्ञ के लिये ॥२॥

Correct Translation by Sant Rampal Ji


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