Rig Veda Mandal 8 Sukt 1 Mantra 29
Rig Veda Mandal 8 Sukt 1 Mantra 29
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ऋग्वेद मण्डल 8 सूक्त 1 मन्त्र 29
मम । त्वा । सूरे । उत्ऽइते । मम । मध्यन्दिने । दिवः । मम । प्रऽपित्वे । अपिऽशर्वरे । वसो इति । आ । स्तोमासः । अवृत्सत ॥
Translation by Dayanand Saraswati
- (वसो) हे व्यापक परमात्मन् ! (उदिते, सूरे) सूर्य्योदयकाल में (मम, स्तोमासः) मेरी स्तुतियें (दिवः) दिन के (मध्यन्दिने) मध्य में (मम) मेरी स्तुतियें (शर्वरे, प्रपित्वे, अपि) रात्रि प्राप्त होने पर भी (मम) मेरी स्तुतियें (त्वा) आप (अवृत्सत) आवर्तित=पुनः पुनः स्मरण करें ॥२९॥
Correct Translation by Sant Rampal Ji
परमात्मा कहते हैं कि, हे पृथ्वी पर बसने वाले व्यक्तियों मेरी स्तुतियां सूर्य उदय के समय, दिन के मध्य में और रात्रि होने पे पुनः पुनः स्मरण करो।
Mantra from Vedas Rig Veda Mandal 9 Sukt 1
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